आज हम जानेंगे Bhasha Vigyan Ki Paribhasha in hindi | भाषा विज्ञान की परिभाषा | भाषा विज्ञान का अर्थ | भाषा विज्ञान के अंग | Bhasha Vigyan Ka Mahatva के बारे में आपको बताने वाले है.
Bhasha Vigyan Ki Paribhasha-
आज हम जानेंगे की Bhasha Vigyan Kya Hai | भाषा विज्ञान किसे कहते है | Definition Of Bhasha Vigyan In Hindi | Language science Definition In Hindi के बारे में बताने वाले है.
भाषा के वैज्ञानिक विश्लेषण या क्रमबद्ध अध्ययन को भाषाविज्ञान कहते हैं। भाषा का वैज्ञानिक अध्ययन ही ‘भाषाविज्ञान’ है।
अर्ताथ जिसमें वर्णनात्मक, ऐतिहासिक और तुलनात्मक अध्ययन के सहारे भाषा की उत्पत्ति, गठन, प्रकृति एवं विकास आदि शामिल होता है.
भाषा विज्ञान का अर्थ –
भाषा-विज्ञान एक समासयुक्त पद है। भाषायाः विज्ञानम्-भाषा विज्ञानम् अर्थात् भाषा का विज्ञान, भाषा-विज्ञान भाषा और विज्ञान दो शब्दों से मिलकर बना है।
‘भाषा’ शब्द संस्कृत की ‘भास्’ धातु, जिसका अर्थ व्यक्त वाक् (व्यक्तायां वाचि) है, से निष्पन्न है।
विज्ञान शब्द ‘वि’ उपसर्गपूर्वक ‘सा’ धातु से अन (ल्युट्) प्रत्यय लगाने से बना है, जिसका अर्थ है विशिष्ट ज्ञान। इस प्रकार ‘भाषा’ के विशिष्ट ज्ञान को भाषा विज्ञान कहते हैं।
भाषा विज्ञान की परिभाषा विद्वानों द्वारा-
डॉ. रामेश्वरदयालु के द्वारा परिभाषा –“भाषाविज्ञान भाषासम्बन्धी समस्त तथ्यों एवं व्यापारों से सम्बन्ध रखता है। उसमें संसार की भाषाओं के गठन,इतिहास,परिवर्तन,भाषाओं के पारस्परिक सम्बन्ध,उनके पार्थक्य,पार्थक्य के कारणों एवं नियमों आदि समस्त विषयों पर विचार होता है।”
डॉ० श्याम सुन्दर दास के अनुसार – “भाषाविज्ञान, भाषा की उत्पत्ति,उसकी बनावट,उसके विकास तथा उसके ह्रास की वैज्ञानिक व्याख्या करता है।”
डॉ० भोलानाथ तिवारी के द्वारा – “जिस विज्ञान के अन्तर्गत ऐतिहासिक और तुलनात्मक अध्ययन के सहारे भाषा (विशिष्ट नहीं अपितु सामान्य) की उत्पत्ति, गठन, प्रकृति एवं विकास आदि की सम्यक् व्याख्या करते हुये इन सभी के विषय में सिद्धान्तों का निर्धारण हो उसे ‘भाषा-विज्ञान’ कहते हैं।”
प्रो० एन० पी० गुने के द्वारा परिभाषा -“भाषा के विज्ञान को कम्पेरेटिव फिलोलॉजी अथवा फिलोलॉजी कहते हैं, साहित्यिक दृष्टि से इसका मुख्य अर्थ भाषा का अध्ययन है।” ।
डॉ० बाबूराम सक्सेना के द्वारा –“भाषा-विज्ञान का अभिप्राय भाषा का विश्लेषण करके उसका दिग्दर्शन कराना है।”
डॉ. अम्बा प्रसाद ‘सुमन’ के द्वारा – “भाषाविज्ञान वह विज्ञान है, जिसमें भाषाओं का सामान्य रूप से या किसी एक भाषा का विशिष्ट रूप से प्रकृति,संरचना, इतिहास,तुलना प्रयोग आदि की दृष्टि से सिद्धान्त निश्चित करते हुए, वैज्ञानिक अध्ययन प्रस्तुत किया जाता है।”
डॉ. कपिलदेव द्विवेदी के द्वारा परिभाषा – “भाषाविज्ञान वह विज्ञान है,जिसमें भाषा का सर्वांगीण विवेचनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया जाता है।”
डॉ० देवेन्द्रनाथ शर्मा के द्वारा – “भाषा-विज्ञान का सीधा अर्थ है, भाषा का विज्ञान और विज्ञान का अर्थ है विशिष्ट ज्ञान। इस प्रकार भाषा का विशिष्ट ज्ञान भाषा-विज्ञान कहलायेगा।”
डॉ. मंगलदेव शास्त्री के अनुसार – “भाषाविज्ञान,उस विज्ञान को कहते हैं, जिसमें (क)सामान्य रूप से मानवी भाषा का,(ख) किसी विशेष भाषा की रचना और इतिहास का, अन्ततः (ग) भाषाओं या प्रादेशिक भाषाओं के वर्गों की पारस्परिक समानताओं और विशेषताओं का तुलनात्मक विचार किया जाता है।”
डॉ. कर्ण सिंह के द्वारा परिभाषा- “भाषाविज्ञान, वह विज्ञान है, जिसमें मानवप्रयुक्त व्यक्त वाक् का पूर्णतया वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता है।”
डॉ० श्याम सुन्दर दास के अनुसार “भाषा-विज्ञान उस शास्त्र को कहते हैं जिसमें भाषा मात्र के भिन्न-भिन्न अंगों और स्वरूपों का विवेचन तथा निरूपण किया जाता है।”
भाषा विज्ञान के अंग-
भाषा विज्ञान का विभाजन दो भागों में किया गया है-
भाषा-विज्ञान के चार प्रमुख अंग विकसित हो गये–
- ध्वनि विज्ञान (Phonology)
- पद-विज्ञान या रूप-विज्ञान (Morphology)
- वाक्य-विज्ञान (Syntax)
- अर्थ-विज्ञान (Semantics)
(2) गौण अंग-भाषा- ये गौण अंग हैं-
- भाषा की उत्पत्ति (Origin of Language)
- भाषाओं का वर्गीकरण (Classification of Languages)
- कोश-विज्ञान (Lexicology)
- लिपि-विज्ञान (Graphology, Graphics)
- प्रागैतिहासिक खोज (Linguistics Palaeontology)
- शैली-विज्ञान (Stylistics)
- भाषिक-भूगोल (Linguistic Geography)
- भू-भाषा-विज्ञान (Geo-linguistics)
- समाज-भाषा-विज्ञान (Socio-linguistics)
- मनोभाषा-विज्ञान (Psycho-linguistics)
भाषा विज्ञान का महत्व-
- भाषाविज्ञान का अध्ययन करने के बाद, आप मानव व्यवहार की बारीकियों के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं।
- इससे भाषा से संबंधित विभिन्न पहलुओं जैसे ध्वनि, शब्द, वाक्य आदि के बारे में समझ विकसित होती है।
- भाषा विज्ञान की सहायता से हमें भाषा के इतिहास के बारे में जानकारी प्राप्त होती है।
- भाषाविज्ञान भाषा के सही रूप के प्रयोग की समझ विकसित करता है।
- भाषाविज्ञान भाषा की विकास यात्रा का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करता है।
भाषा और भाषा विज्ञान में अंतर –
भाषा और भाषा विज्ञान में अंतर निम्नलिखित हैं :
- भाषा के माध्यम से मनुष्य अपने विचारों को दूसरों तक पहुँचाता है,
- जबकि भाषा विज्ञान वह उपकरण है जो भाषा को शुद्ध करने का काम करता है।
- विचार आत्मा का मूक वार्तालाप है, यही वार्तालाप जब ध्वनि बन जाता है तो भाषा कहलाती है।
- भाषाविज्ञान इस वार्तालाप के नियमों को निर्धारित करने का काम करता है।
- यदि भाषा अभिव्यक्ति का एक माध्यम है तो भाषाविज्ञान इस माध्यम को कुछ मानकों के भीतर बनाए रखने का काम करता है।
- भाषाविज्ञान भाषा का एक महत्वपूर्ण अंग है, परंतु एक अंग होते हुए भी एक प्रकार से भाषा के नियंत्रक के रूप में कार्य करता है।
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FAQ-
भाषाविज्ञान की सबसे अच्छी परिभाषा क्या है?
भाषा के वैज्ञानिक विश्लेषण या क्रमबद्ध अध्ययन को भाषाविज्ञान कहते हैं। भाषा का वैज्ञानिक अध्ययन ही ‘भाषाविज्ञान’ है।
भाषा विज्ञान का जनक कौन है?
भाषा विज्ञान का जनक फर्डिनांद द सस्यूर को माना जाना जाता है।
भाषा विज्ञान का उद्देश्य क्या है?
भाषाविज्ञान का मुख्य लक्ष्य दुनिया के बारे में हमारे ज्ञान और समझ को बढ़ाना है। चूँकि भाषा सार्वभौमिक है और सभी मानवीय अंतःक्रियाओं के लिए मौलिक है, भाषा विज्ञान में प्राप्त ज्ञान के कई व्यावहारिक अनुप्रयोग हैं।
भाषा विज्ञान के कितने अंग होते हैं?
भाषा विज्ञान के मुख्य चार अंग है- ध्वनि, शब्द (पद), वाक्य और अर्थ।
निकर्ष-
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